Kejriwal के समर्थन में उतरा जर्मनी ! BJP सरकार को सुनाया ? Germany on Arvind Kejriwal | बीजेपी
आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के गिरफ्तारी पर जर्मनी ने अपनी चुप्पी तोड़ी है. जर्मनी के विदेश मंत्रालय ने केजरीवाल कि गिरफ़्तारी पर कहा है उसे उम्मीद है कि उन्हें निष्पक्ष सुनवाई का अवसर मिलेगा. जर्मनी के विदेश मंत्रालय ने कहा था- हमने दिल्ली के मुख्यमंत्री कि गिरफ़्तारी के मामले का संज्ञान लिया है, हम इस पर अपनी नज़र बनाये हुए हैं. भारत एक लोकतांत्रिक देश है. हमें उम्मीद है कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता और बुनियादी लोकतांत्रिक सिद्धांतों से संबंधित सभी मनको को भी इस मामले में लागू किया जाएगा.केजरीवाल को निष्पक्ष सुनवाई का पूरा अधिकार है. वे बिना किसी प्रतिबंध के सभी उपलब्ध क़ानूनी रास्तों का इस्तेमाल कर सकते हैं. दोषित साबित होने से पहले सभी को निर्दोष मानने का अनुमान कानून के शासन का एक केंद्रीय तत्व है, और उसे इस केस पर भी लागू होना चाहिए.
अब उनके इस बयान पर भारत सरकार का भी जवाब सामने आया है. दिल्ली में उपस्थित जर्मन दूतावास के उप प्रमुख जॉर्ज एनज़वीलर को आज सुबह भारत विदेश मंत्रालय ने अपनी तरफ से एक आधिकारिक विरोध दर्ज कराने के लिए उन्हें बुलाया गया था. जर्मन दूत जॉर्ज एनज़वीलर को आज सुबह राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के साउथ ब्लॉक में भारत विदेश मंत्रालय के कार्यालय के बाहर कि ओर जाते हुए पाया गया था. विदेश मंत्रालय ने जर्मन दूत के सामने भारत सरकार कि तरफ से विरोध दर्ज कराते हुए ये कहा कि उनके देश की टिप्पणी भारत देश के आंतरिक मामलों में यह स्पष्ट हस्तक्षेप की गई, भारतीय विदेश मंत्रालय ने जर्मनी दूत से ये कहा कि देश कि न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप है. जो भारत के आतंरिक मामलो में स्वीकार नहीं हैं.
भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान में ये भी कहा कि – हम ऐसी दूसरे देशों कि टिप्पणियों को हमारी न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप और हमारी न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कमजोर करने के रूप में देखते हैं. भारत देश कानून कि शासन वाला एक जीवंत और मजबूत लोकतांत्रिक देश है. जिस तरह से देश और दुनिया में अन्य लोकतांत्रिक जगह पर सभी कानूनी मामलों में जो होता है, इस मामले में भी भरता देश कि कानून उसी तरह अपना काम करेगा. इस संबंध में की गई पक्षपातपूर्ण धारणाएं अत्यंत अनुचित है. भारत देश यह कभी बाहरी देश को हक नहीं देता कि उनकी आंतरिक मामलों पर टिप्पणी की जाए.