Politics: तृणमूल और कांग्रेस में खटपट से भाजपा को मिली ताकत, 35 लोकसभा सीटों के लिए राम मंदिर और सीएए पर दांव

Politics: तृणमूल और कांग्रेस में खटपट से भाजपा को मिली ताकत, 35 लोकसभा सीटों के लिए राम मंदिर और सीएए पर दांव

Politics: तृणमूल और कांग्रेस में खटपट से भाजपा को मिली ताकत, 35 लोकसभा सीटों के लिए राम मंदिर और सीएए पर दांव

तृणमूल कांग्रेस के आगामी लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने के फैसले से भाजपा की रणनीति को बल मिला है। इस कदम ने टीएमसी विरोधी वोटों को मजबूत करने की भगवा खेमे के भीतर उम्मीदें बढ़ा दी हैं।

विस्तार

इस साल लोकसभा चुनाव होने हैं। इसको लेकर सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी तैयारियों में लगे हुए हैं। कोई किसी मुद्दे को उठा रहा तो कोई किसी। बैठकों और आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। कौन सी सीट किसकी होगी, इसको लेकर भी बहस जारी है। इस बीच, पश्चिम बंगाल की राजनीति में भी काफी कुछ दिलचस्प देखने को मिल रहा है। भ्रष्टाचार के मुद्दों पर राजनीतिक रूप से ध्यान खींचने के लिए संघर्ष कर रही भाजपा अब अयोध्या में राम मंदिर और नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) जैसे भावनात्मक विषयों अपना ध्यान केंद्रित कर रही है। बता दें, भाजपा ने बंगाल से 42 लोकसभा सीटों में से 35 सीटें हासिल करने का लक्ष्य रखा है।

इंडिया ब्लॉक से अलग टीएमसी

पश्चिम बंगाल में इंडिया ब्लॉक से अलग होकर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के आगामी लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने के फैसले से भाजपा की रणनीति को बल मिला है। इस कदम ने टीएमसी विरोधी वोटों को मजबूत करने की भगवा खेमे के भीतर उम्मीदें बढ़ा दी हैं।
2021 के विधानसभा चुनावों में अपनी हार के बाद से आंतरिक संघर्ष और चुनावी झटकों का सामना करने के बावजूद, ममता बनर्जी सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को भुनाने के भाजपा के प्रयास विफल रहे हैं। राज्य की 42 लोकसभा सीटों में से 35 पर जीत का लक्ष्य रखते हुए भाजपा अब राम मंदिर और संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) जैसे भावनात्मक मुद्दों पर निर्भर है।

पार्टी के मूल मुद्दे

भाजपा की प्रदेश महासचिव अग्निमित्रा पॉल ने कहा, ‘राम मंदिर का उद्घाटन और सीएए को लागू करना पार्टी के मूल मुद्दे हैं।’ उन्होंने बंगाल में मतदाताओं के साथ पार्टी की प्रतिध्वनि पर जोर देते हुए कहा कि दोनों मुद्दे भावनात्मक हैं। लोग इससे जुड़ सकते हैं।
22 जनवरी को अयोध्या मंदिर में नए राम लला की एक मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई, यह आयोजन लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले हुआ, जिसने राजनीति को आकार दिया।

सीएए को लागू करने के वादे ने…

भाजपा सांसद और पूर्व राज्य अध्यक्ष दिलीप घोष ने भी इन मुद्दों की भावनात्मक अपील को रेखांकित किया। इसके अलावा, उन्होंने हिंदू मतदाताओं को एकजुट करने और विशेष रूप से मटुआ समुदाय के बीच शरणार्थी चिंताओं को संबोधित करने में उनके ऐतिहासिक महत्व पर जोर दिया। घोष ने कहा, ‘सीएए को लागू करने के वादे ने भाजपा की चुनावी सफलताओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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