चुनावी चंदे पर Supreme Court में फंसी SBI | Lok Sabha Elections | Electoral Bond | PM Modi |
लोकसभा चुनाव से पहले सुप्रीम कोर्ट एक के बाद एक फैसलों ने मोदी सरकार को बैक फुट पर ला दिया है.सांसदों में भ्रष्टाचार का मामला हो या फिर चंडीगढ़ मैं मेयर चुनाव का या फिर इलेक्ट्रॉलर बॉन्ड को सार्वजनिक करने का, मोदी सरकार को कोर्ट से एक के बाद एक झटके ही मिल रहे हैं.
इलेक्टरल बॉन्ड के मामले में तो मोदी सरकार बुरी तरह से फसते हुए दिखाई दे रही है. कोर्ट ने 13 मार्च को इलेक्टोरल बांड के जरिए, किस पार्टी को किसने कितना चंदा दिया यह सब जानकारी चुनाव आयोग के वेबसाइट पर सार्वजनिक करने को कहा था.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसलों में कहा था कि एसबीआई जो इलेक्टोरल बांड जारी करती थी, वो बंद गैर संवैधानिक है और 6 मार्च तक इलेक्टोरल बांड के बारे में पूरी जानकारी चुनाव आयोग को उपलब्ध कराये. जिससे वो अपनी वेबसाइट पर जारी कर सके. लेकिन एसबीआई ने चुनाव आयोग को इलेक्टोरल बांड के बारे में जानकारी नहीं दी.
दरअसल दावा किया जा रहा है,यह जानकारी सरकार के दबाव में नहीं दी गई है. क्योंकि इलेक्टोरल बांड के जरिए सबसे ज्यादा चंदा बीजेपी पार्टी को ही मिला है. ऐसे में चांदी का स्रोत क्या है यह भी जानकारी हो जाएगी,और ऐसा होता है, तो विपक्ष के पास बीजेपी को गर्ने के लिए बड़ा मुद्दा मिल जाएगा. विपक्षी दलों को कहां से चंदा मिला यह जानकारी सरकार के पास तो है, लेकिन बीजेपी को कहां से कितना चंदा मिला यह सार्वजनिक होने से बीजेपी को परेशानी का सामना खड़ी कर सकता है.
ऐसे में एसबीआई के तरफ से चुनाव आयोग को कोई जानकारीनहीं दी गई. सुप्रीम कोर्ट में जरूरगुहार लगाई गई कि काम बहुत ज्यादा है.कुछ दिनों की मोहलत दी जाए. एसबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से 30 जून तक के लिए वक़्त मांगा है. अब सवाल ये है कि क्या सुप्रीम कोर्ट एसबीआई को इतना लंबा वक्त देगा. क्योंकि 10 मई तक चुनाव ही समाप्त हो जाएंगे. लेकिन सुप्रीम कोर्ट में एसबीआई के खिलाफ अवमानना का मामला भी पहुंच गया है.अब देखना दिलचस्प होगा कि सुप्रीम कोर्ट का अगला कदम एसबीआई के लिए क्या होगा.